A Secret Weapon For hindi story
A Secret Weapon For hindi story
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सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।
सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।
आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ़ की दावत थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फ़ुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्ख़ी और पाउडर को मले और मिस्टर शामनाथ सिगरेट पर सिगरेट फूँकते हुए चीज़ों की भीष्म साहनी
सियार की चतुराई जानने के लिए पूरी कहानी हमारे पॉडकास्ट पर जरूर सुनें।
मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।
इमेज कैप्शन, मंटो की इस कथा संग्रह में टोबा टेक सिंह, काली सलवार और तमाशा जैसी कई कहानियाँ संकलित हैं.
बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।
इसे अभी कोई बड़ा पैराडाइम शिफ़्ट तो नहीं कह सकते, लेकिन किसी नए कथा-प्रस्थान की आहट ज़रूर सुनी जा सकती है.
किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे
शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना click here चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.
'ठाकुर का कुआं', 'सवा सेर गेहूँ', 'मोटेराम का सत्याग्रह', जैसी प्रेमचंद की अनेक कहानियों में अंतर्भूत मानवीय संवेदना तथा जाति व्यवस्था के प्रति उनका दृष्टिकोण इस कहानी को कालजयी और आधुनिक बनाता है.
बाबा भारती और खड़ग सिंह की यह कहानी मनुष्य के भीतर छिपी अच्छाइयों के पुनरुद्धार और दूसरे मनुष्य पर विश्वास की अनश्वरता की अद्भुत लोकगाथात्मक कहानी है.
एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।